Wednesday, November 9, 2016






खरगोश का नाम तो हर किसी ने सुना होगा। ये महाशय स्याहगोश हैं। यानी काले कान वाला। आमतौर पर इन्हें काराकल कहा जाता है। टर्की के इस शब्द काराकल का मतलब भी काले कान वाला है। स्याहगोश कभी भारत में बहुतायत से पाए जाते थे। लगभग अट्ठारह किलो तक के वजन वाला यह बिल्ला दस फुट तक की ऊंचाई तक छलांग लगाने में माहिर होता है। मुगल बादशाह चीते की तरह ही काराकल को भी प्रशिक्षित करवाते थे। 
काराकल की मदद से बादशाह खासतौर पर पक्षियों का शिकार करते थे। काराकल एक शानदार और फुर्तीला जानवर होता है। इसके कनमुच्छे इसे खास छवि प्रदान करते हैं। चेहरे पर भी शेरों जैसा रोब होता है। चीते आमतौर पर इंसानों पर हमला नहीं करते। पर काराकल अपने प्रशिक्षकों पर भी हमला बोल देते थे। आपने बचपन में यह जरूर सुना होगा कि बिल्ली को बंद करके मारो तो वो इंसान का गला पकड़ सकती है। मेरे खयाल से यह बात इसी बिल्ले के लिए कही जाती रही होगी। 
अफसोस कि आज इस शानदार जानवर की भारत में पहचान भी नहीं रही। कभी बहुतायत से पाए जाने वाले स्याहगोश की आबादी अब सिमट के रह गई है। गुजरात, राजस्थान, महाराष्ट्र व देश के अन्य हिस्सों में भी यदा-कदा उन्हें देखा जाता रहा है। हालांकि, जल्दी जरूरी कदम नहीं उठाए गए तो स्याहगोश के भी भारत से लुप्त होने का खतरा है। चीते के बाद यह भारत से लुप्त होने वाला दूसरा स्तनपायी जानवर बनने के खतरे से जूझ रहा है।